Sunday, August 9, 2015

पहिली बारीश

आओ आज हमे पहिली बारीश आजमाने दो 
दो दिलो के मिलने की ख्वाईश आजमाने दो 
भिगी जमीन से आती खुशबू आजमाने दो 
तडफते जिस्म से आती सुगंध आजमाने दो
थंड हवाओं के झोंके आजमाने  दो 
गर्म सांसो के समुंदर आजमाने  दो 
गिली जमीन गिली सडक आजमाने  दो 
कांपते हुए गिले होंठो का स्पर्श आजमाने दो
पेडोंसे से घुमती हवाओ की आवाज आजमाने दो 
बदन को बदन की रूह को रूह की आवाज आजमाने दो
 आओ आज हमे पहिली बारीश आजमाने दो....

--------- जतिन

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